राम नाम सहज है...

 ऐसे करे श्रीराम की पूजा-अर्चना

उनका जीवन मंत्र था, ‘भूमा वै सुखं नाल्पे सुखमस्ति’ अर्थात ‘बहुतों के साथ चलने में ही सच्चा सुख है, अल्प में नहीं.’ अपने मन को शुद्ध करो, ज्ञान की सीमा का विस्तार करो, समभाव और सहजभाव से अपने जीवन को सफल और सार्थक बनाओ, स्वयं आनंदित रहकर दूसरों को आनंदित करना ही राम का रामत्व है.

 
 
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